The Joy of Living Together

कल तक ५०० पोस्ट इस ब्लॉग पर डाल चुका हूँ । अब रुकना चाहता हूँ । कल से एक पुस्तक The Joy of Living Together से सारांश रूप में चुने विचारों को इस ब्लॉग पर डालने जा रहा हूँ । यह पुस्तक श्री व्ही एस जाधव जैसे प्रबुद्ध महानुभाव ने लिखी हुई है । मेरा नाम सह- लेखक के रूप में उनके द्वारा जोड़ दिया गया है। मेरा सहयोग यत्किंचित होते हुए भी मुझे उन्होंने इतना बड़ा सन्मान दिया, यह उनके उदार ह्रदय का परिचय है ।
पुस्तक में यथार्थ, प्रति-यथार्थ और परम- यथार्थ, इन तीन फेनोमेनोज को लेकर चिंतन किया गया है।
पुस्तक का नाम - The Joy of Living Together - अद्वैत के आनंद की शाब्दिक अभिव्यक्ति है।
ब्लॉग पर जो भी लिखूंगा वह अनुवाद न होकर मेरी समझ से निकला निष्कर्ष होगा अतः मेरा यह दावा नही कि जो भी मै लिखने जा रहा हूँ वह पुस्तक का सही सही प्रतिबिम्ब है । अगर कहीं भूल दिख जाए तो वह मेरी होगी और अगर लिखा भा जाए तो उसका श्रेय पुस्तक के प्रथम लेखक श्री व्ही एस जाधवजी को दिया जाना चाहिए ।
- अरुण खाडिलकर, डोम्बिवली, महाराष्ट्र मोबाईल - ९८२०३६७२४६

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