जिंदगी हर नये क्षण के प्रति बेखबर है

देखा ही नही और

बयान शुरू

फिर बयान के चलते

देखना बंद

या यूँ कहें कि

हर नई साँस को लेते वक्त

पुरानी सांसों से ही जुड़ा रहने वाला मन

नया बनने का मौका ही नही पाता

और इसीलिए यह जिंदगी

हर नये क्षण के प्रति

बेखबर है

................................. अरुण

Comments

Popular posts from this blog

लहरें समन्दर की, लहरें मन की

लफ्जों की कश्तियों से.........

तीन पोस्टस्