चेतना सागर
चेतना सागर में उछलती लहरें.....
एक लहर ने पीछे से धकेला
तो दूसरी उभरी अपना अहम पहने
और अब अपने आगे चलती सभी लहरों को
वह स्वयं का करतब समझती है,
भुलाकर कि उसका कोई अहम नही
केवल अस्तित्व ही है
चेतना सागर में तैरता हुआ
....................................... अरुण
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