नया मसीहा - एक नए संकट की संभावना

बातें उसकी बहुत ही उम्दा ऊँची लगती

लगता के कोई मसीहा ही उतर आया हो

पर जिसतरह वह जिद का वह इजहार करे

मानो बच्चे में कुई बुजुर्ग उतर आया हो

अपनी हर बात को वह जनता की बात कहता है

और यही बात तो भीड़ जुटाने के लिए है काफी

उसमें सादगी भी है, भा जाती है सभी को बहुत

पर क्या यह सादगी भरोसे के लिए है काफी ?

ये सादगी, ये भीड़ और ये शोरोगुल

सभी दिशाओं से संभ्रम बयार बहती है

अजीब दांव पेंच और हडबडाहट का है माहोल

किसी नये खतरे की अब धुन सुनाई देती है

अब यही वक्त के राजनीति दिखाए सुनीयत

अपनी मौका परस्ती को दे दे पूरा तलाक

देश के हित में जो बात हो उसी को पकड़

सामना करती रहे जो भी आ जाएँ हलात

................................................... अरुण

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