दार्शनिक सत्य-बोधी नही होते
सत्य का बोध
बिलकुल ही direct है
यह किसी भेदाभेद और तुलना,
किसी माध्यम,
किसी जानकारी या विश्लेषण,
तथा काल-विभाजन के बिना होता है
इन सब बातों की जरूरत
सत्य का वर्णन,
सत्य पर चर्चा-प्रवचन, सत्य का ज्ञानकोष
निर्माण करने आदी बातों के लिए होती है
ये बातें सत्यबोध की दृष्टि से बिलकुल ही
irrelevant हैं
दार्शनिक सत्य-बोधी नही होते
........................................ अरुण
Comments