शांति के स्वरूप की पूर्व-कल्पना असम्भव
शांति की खोज ही शांति का संकट है
शांति से गौर करे खुदको, वह शांत है
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अपनी परस्पर विरोधी इच्छाओं और
खींचातानी से परेशान आदमी
शांति की तलाश करे, यह तो ठीक ही है
परन्तु इसतरह से चाही शांति
सम्भव ही नही हो पाती
शांति के स्वरूप की पूर्व-कल्पना करना भूल होगी
स्वयं की पूर्ण समझ की अवस्था में ही
शांति उभरती है
....................................... अरुण
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