न जाना है कहीं ....


न जाना है कहीं
और न पाना है कुछ भी
न इंतजार में बैठे रहना है
जो है अभी इसी पल 
उस को ही देख लेना है
कोशिशे बेकार हैं,
न कोई राह है अलग
बस ये होश आ जाए कि
कैसे पड़ा हूँ
सच से अलग थलग
-अरुण

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