जागृति की तीन अवस्थाएँ


ये आसमां जो उगाता है, डुबोता सूरज 
मैदानों को उजालों और अंधेरों  का पता 
ये दो अलग हैं, ये बात न तहखाना जाने
आसमां से परे न उगता है न ढलता सूरज
- अरुण   

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