दो शेर


तुम्हारे आनेकी उम्मीद ही मेरी जिंदगी थी
तुम्हारा आना, सो बन गया, मेरी मौत का सबब
- अरुण
रौशनी में खलल तो बने रात-ओ-सहर 
टुकड़ों में बट गया है जिंदगानी सफर
-अरुण

Comments

बहुत ही सुन्दर

Popular posts from this blog

लहरें समन्दर की, लहरें मन की

लफ्जों की कश्तियों से.........

तीन पोस्टस्