सदियों से मनुष्य अशांत है


भाव से भावना और
भावना से
प्रतिक्रिया का जन्म होता है.
मनुष्य में,
उत्क्रांति की देन के रूप में,
सृष्टि से विभक्ति का भाव जागते ही
अहंकरात्मक प्रतिकियायें शुरू हो गयीं.
और इसतरह से
सृष्टि से अपनी एकांगता को भूलने के कारण
मनुष्य अन्यभाववश सृष्टि के प्रति अपने
दृष्टिकोण और आचरण रचने लगा
विभक्ति-भाव का जन्म होना,
इस मूल भूल के कारण ही
सदियों से मनुष्य अशांत है 
-अरुण

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