अस्तित्व और विचारशीलता


अस्तित्व में विचारशीलता का
अवतरण होते ही
अस्तित्व में आदमी के लिये,
नामों, संज्ञाओं, संकल्पनाओं,
विश्लेषणों और निष्कर्षों का
एक नया आयाम खुल गया.
जो न था, न है और न होगा-
उसका अस्तित्व पैदा हो गया
आदमी इसी नये अस्तित्व में रहकर 
मूल -अस्तित्व को समझने की चेष्टा कर रहा है 
-अरुण

Comments

Popular posts from this blog

मै तो तनहा ही रहा ...

पुस्तकों में दबे मजबूर शब्द

यूँ ही बाँहों में सम्हालो के