एक ऊर्जा अनेक रूप

एक ऊर्जा अनेक रूप
विद्युत ऊर्जा जहाँ से प्रकट होती है उसका चेहरा धारण कर लेती है, कभी बल्ब, कभी पंखा, कभी मशीन...... तो इसतरह अनेक अनेक रूप रंग चेहरे......
सारी भिन्नताएँ एक ही अभिन्न ऊर्जा के अलग अलग रूप हैं।
- अरुण  

Comments

Popular posts from this blog

मै तो तनहा ही रहा ...

पुस्तकों में दबे मजबूर शब्द

यूँ ही बाँहों में सम्हालो के