प्रार्थना कौन करे ?
सुख
हमेशा चिंतित है कि
कहीं
वह नष्ट न हो जाए,
सुख
की तलाश करते
दुख
थक जाता है ......
यह
सकारात्मक भाव कि
“जो
है वही ठीक है”- ......
ख़त्म
न हो सके कभी भी
ऐसी
यह एक मस्ती है
ऐसे
मस्त लोगों को किसी से
प्रार्थना
की क्या जरूरत ?
प्रार्थना
तो काम है
सुखदुख
में उलझों का
-अरुण
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