अमृतानुभव
दूसरों
के अनुभवों से मिली जानकारी है -केवल एक ज्ञानानुभव, जिसे मृत-अनुभव समझना भी भूल
न होगी. जबकि स्वयं के जगत-अनुभवों से हमें जो मिलती है वह होती है ज्ञान की सजीव
अनुभूति. अपनी अंतर-तृष्णा जिस अनुभव से
मिट जाए वही है केवल अमृतानुभव.
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बहुदा
सभी ज्ञानानुभव के ही सहारे जीते हैं, थोड़े ही ऐसे हैं जिन्हें सजीव ज्ञान की अनुभूति
में रूचि है और वे तो बिलकुल ही बिरले हैं जिन्हे अमृतानुभव हुआ हो
-अरुण
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