परिचय का चश्मा पहन घूमत परिचित पार...
परिचय
का चश्मा पहन घूमत परिचित पार
खुली
आँख ले जो चला पहुंच गया ‘उस पार’
-अरुण
‘उस
पार’ का आशय है उस अनुभव से जो पूरी तरह अपरिचित हो. अपरिचित यानि अज्ञेय, जिसे
जाना ही नही जा सकता. ‘जानना’ काम है परिचय का..... अपरिचित की अनुभूति परिचय या परिचित
को कभी भी संभव नही है.
-अरुण
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