एक सोच

चाँद ही की तरह
दूसरे ग्रहों पर भी
देशों के झंडे गड़ेंगे
और फिर यहाँ जैसे ही
वहाँ पर भी
युद्ध एवं अशांति के
बीज पड़ेंगे
...................... अरुण

Comments

Udan Tashtari said…
बहुत करारा प्रहार!
M VERMA said…
सही फरमाया है.
आसार तो कुछ ऐसे ही दिखते है

Popular posts from this blog

मै तो तनहा ही रहा ...

यूँ ही बाँहों में सम्हालो के