कुछ शेर

नग्मा- ए- इश्क में भी तल्लीनता अजीब
दिल से पढ़ने पे दिख जाती है रूह

अपनी सांसे तो सब की ही तरोताजा हैं
भीड़ में आते रिवायात महक उठती है

अगले पल को बतलाना नामुमकिन, पर
किया करते कई इसका ही कारोबार
............................. अरुण

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