तीन पंक्तियों में संवाद
हाल पूछते हो, बतला न सकूँगा
हाल हर पल में है अलेहदा
जबाब आने तक बात बदल जाती है
...........
तर्क के तीर काम आ सकते हैं मगर
तीरअन्दाज की नजर हो चौकन्नी
तर्क का यन्त्र चले समझ की हाथों से
..............
ये, कुदरत में खुद को घोलकर, कुदरत को बूझता
वो, हिस्सों में बाँट बाँट के कुदरत को जाँचता
दोनों ही खोज, विद्या अलग अलग
......................................................... अरुण
हाल हर पल में है अलेहदा
जबाब आने तक बात बदल जाती है
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तर्क के तीर काम आ सकते हैं मगर
तीरअन्दाज की नजर हो चौकन्नी
तर्क का यन्त्र चले समझ की हाथों से
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ये, कुदरत में खुद को घोलकर, कुदरत को बूझता
वो, हिस्सों में बाँट बाँट के कुदरत को जाँचता
दोनों ही खोज, विद्या अलग अलग
......................................................... अरुण
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