तीन पंक्तियों में संवाद
चंद सामान से गुजारा करने वाले
अच्छी हालत में बसेरा करने वाले
आंसुओं की नमी में कोई फर्क नहीं
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सुबह को आना हो तो कहाँ आएगी
रात ठहरी है हरेक के घर में
जलता तो होगा कहीं चिरागे उम्मीद
................................................ अरुण
अच्छी हालत में बसेरा करने वाले
आंसुओं की नमी में कोई फर्क नहीं
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सुबह को आना हो तो कहाँ आएगी
रात ठहरी है हरेक के घर में
जलता तो होगा कहीं चिरागे उम्मीद
................................................ अरुण
Comments
रात ठहरी है हरेक के घर में
जलता तो होगा कहीं चिरागे उम्मीद
-बहुत उम्दा, जनाब!!
सुबह को आना हो तो कहाँ आएगी
रात ठहरी है हरेक के घर में
जलता तो होगा कहीं चिरागे उम्मीद
सुबह को आना हो तो कहाँ आएगी
रात ठहरी है हरेक के घर में
जलता तो होगा कहीं चिरागे उम्मीद