तीन पंक्तियों में संवाद
जीवन में दो और दो चार नहीं होते
जो समझ से जीते हैं बेजार नहीं होते
दीवारें चार- जेल की, तो घर की भी
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बात सर से सर लगा के करो, टकराएगी
दिल से दिल लगा के करो, पहुँच जाएगी
लफ्जों की कश्तियों से बातें पहुँच ना पाती
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कुई छोटा बड़ा कोई, हकीकत है भुलाएँ क्यों
दिलों से दिल मिले हों तो बराबर के सभी रिश्ते
'मायनीओरीटी' जुबां पे आते हम चूक गए
....................................................... अरुण
जो समझ से जीते हैं बेजार नहीं होते
दीवारें चार- जेल की, तो घर की भी
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बात सर से सर लगा के करो, टकराएगी
दिल से दिल लगा के करो, पहुँच जाएगी
लफ्जों की कश्तियों से बातें पहुँच ना पाती
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कुई छोटा बड़ा कोई, हकीकत है भुलाएँ क्यों
दिलों से दिल मिले हों तो बराबर के सभी रिश्ते
'मायनीओरीटी' जुबां पे आते हम चूक गए
....................................................... अरुण
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सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com