खोज अन्तस्थ की

खोज की तरफ आँखों को ले आता है गुरु
गुरु को छोड़े बिना खोज होती नही शुरू

खोज के लिए गुरु साधक, पर खोज में गुरु अड़चन
.....................
जितना बढे सहवास ढलता है सुवास
जितना बढे सानिध्य प्रकटे सार सार

सहवास संसार से, सानिध्य अन्तस्थ से
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श्रद्धा से यात्रा शुरू हो पाती है
विवेक से निखर निखर आती है

अन्तस्थ की यात्रा में श्रद्धा एवं विवेक दोनों जरुरी
............................................................. अरुण

Comments

अन्तस्थ की यात्रा का सही मार्ग सुझाने का बहुत आभार ...!!
Udan Tashtari said…
बढ़िया...आभार!

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