सत्य-बोध कोई निष्कर्ष नही
जो जब, जहाँ, जैसा है वैसा ही
देख लेना
निष्कर्ष-विहीन बोध है
जो जब जहाँ जैसा है
वैसा न देखते हुए
किसी निष्कर्ष तक पहुँचने की जल्दीबाजी करना
प्रवृति है ज्ञानार्थियों की
जो जब, जहाँ, जैसा है वैसा ही
देख लेना
निष्कर्ष-विहीन बोध है
जो जब जहाँ जैसा है
वैसा न देखते हुए
किसी निष्कर्ष तक पहुँचने की जल्दीबाजी करना
प्रवृति है ज्ञानार्थियों की
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