अंगुली निर्देश या अंगुली प्रपंच
अंगुली जहाँ और जिधर इशारा कर रही है
उसे देख लेने की क्षमता
जिनमें जागी नही
वे अंगुली में ही अटक जातें है
और उसके वर्णन को ही
निर्देशित-सत्य समझ बैठते है
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धर्म को समझने से जो चूक गये
वे धर्म-प्रपंच को ही धर्म समझने
की भूल कर बैठते हैं
.......................................... अरुण
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