वे पुराने लोग अब मिलते नही

रास्ते उनकी तरफ खुलते नही

वे पुराने लोग अब मिलते नही

अब भी जिनका जिक्र छूता है जुबां

अब भी बाकी रूह पर जिनके निशाँ

जिनके साये खाब से हटते नही

वे पुराने लोग अब मिलते नही

हो अचानक रोज इक उनका दीदार

है दबा सा जहन में इक इंतजार

फिर भी हैं जो फासले मिटते नही

वे पुराने लोग अब मिलते नही

क्या पता बिसरे या रखते मुझको याद

दिल में क्या मेरी बसी अब भी मुराद ?

इन सवालातों के हल मिलते नही

वे पुराने लोग अब मिलते नही

रास्ते उनकी तरफ खुलते नही

वे पुराने लोग अब मिलते नही

.............................................. अरुण

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