अवधान और परिधान
जीते रहना ही है,जानते रहना
जी लेना है, जान लेना
जिंदगी
जीते रहने का नाम है
जी लेने का नही
जी लेने पर मन निर्मित होता है
जीते रहने में अवतरित है - अवधान
जिंदगी अवधान है
और मन है परिधान
....................................... अरुण
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