परिवर्तन बीज में यानी व्यक्ति में जरूरी
वैसे तो खुले तौर पर
समाज हमेशा ही मोह ओर लोभ से
बचने की शिक्षा देता रहा है
परन्तु दूसरी ओर उलट,
प्रतियोगिता, सफलता, महत्वाकांक्षा,
समाज में अपना वजन बढ़ाने जैसी बातों को
प्रोत्साहन और प्रतिष्ठा भी देता रहा है
जब तक ऐसी चीजों को
समाज में सम्मान है
भ्रष्टाचार, दुराचार, लूट-खसोट,,
अनावश्यक संग्रह के किस्से बने ही रहेंगे
इन बातों का विरोध तो होगा परन्तु
मनुष्य के आचरण में परिवर्तन की किसी भी
सम्भावना की अनुपस्थिति में.
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परिवर्तन व्यक्ति में होगा तभी
समाज बदल पाएगा
परिवर्तन बीज में होगा तभी
वृक्ष में गुणात्मक बदलाव संभव हैं
....................................................... अरुण
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