ध्यान (Meditation) मनोभंजन है मनोरंजन (leisure time activity) नहीं.
Meditation को
लेकर कई धारणाओं और practices का
जिक्र होता रहता है. कोई कहता है.. मै रोज कुछ समय या हफ्ते में एक दिन मंदिर या
पूजा स्थल जाकर शांत बैठ जाता हूँ, किसी को कहते सुना कि किसी मूर्ती या object पर
ध्यान केन्द्रित करता हूँ, कोई किसी बाबा या संत की समाधी स्थल पर जा कर साल में
एक या दो बार meditation कर अपनी
साल भर की परेशानियों को दूर करने की बात करता है, कोई नामस्मरण में घंटे, दिन या
महीनों बिताता है.... और इसतरह की कई बाते सुनी कही जाती रही हैं. थोड़े में, अपनी
रोजाना की routine life से
हटकर एक विशिष्ट ढंग की साधना को आदमी Meditation का नाम दे देता है.
ध्यान
रहे कि जीने के लिए चौबीसों घन्टे श्वासोंश्वांस जरूरी है. यह किसी विशिष्ट समय, ढंग
या स्थलपर की जाने वाली कृती या साधना का नाम नहीं है. इसीतरह, दैनिक उपयोगी और
उपद्रवी भ्रमों से मुक्त जीवन जीने की प्रवृति केवल कुछ क्षणों, दिनों महीनों या
सीमित समय अवधि से सरोकार नहीं रखती. ध्यान की यह गतिविधि (movement) अगर चौबीसों
घंटों सध सके तभी routine wordly living के साथ साथ spiritual living संभव है. Spiritual और worldly, एक दूजे से कटे-बटे या भिन्न हिस्से नहीं है, जीवन
का यह integrated
phenomenon है.... श्वांस की ही तरह... मुक्ति भी सतत की
सावधानी का नाम है. किसी कालावधि में होनेवाला मनोरंजन नहीं. यदि श्वांस थम जाए तो
जीवन का स्वास्थ्य टिक नहीं सकता, यदि ध्यान हट जाए तो चित्त का स्वास्थ्य बच नहीं
सकता. ध्यान मनोभंजन है, मनोरंजन (leisure time activity) नहीं.
-अरुण
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