‘सुरक्षा’ हमेशा ‘आजादी’ पर जलती रही है



सुरक्षाहमेशा ‘आजादी’ पर जलती रही है  
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पिंजड़े में अपने को सुरक्षित समझता पंछी..खुले आकाश में विचरते पंछी के पंखों की फडफडाट सुनकर ..उसे आवारा, भटका, बिगड़ा हुआ... समझता आया है. वह यह नहीं देख पाता कि उसके ही भीतर..इर्षा और असंतोष की चिंगारियां फडफडा रहीं हैं  
-अरुण

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