श्रद्धा है हिम्मत जबकि विश्वास है केवल मानसिक सहारा
सत्य
की खोज में जुटे रहने की हिम्मत का नाम है श्रद्धा. जो जाना हुआ है और जो अभी भी
जानना बाकी है, इन दोनों के प्रति लगे मोह को श्रद्धा नहीं...विश्वास कहना होगा.
जो जाना नहीं जा सकता,... जो केवल हुआ करता है ...उसे ही अज्ञेय यानि सत्य कहें.
सत्य के प्रति खोजपूर्ण समर्पण के लिए.. हिम्मत जरूरी है..ऐसी हिम्मत श्रद्धा से
ही फलती है.
-अरुण
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