शब्द संचो की समान धर्मिता
सत-रज-तम..यानि ...पूर्णप्रकाश-अर्धप्रकाश-पूर् णअंधकार....यानि.....विश्राम-सं घर्ष-आलस्य...यानि
संत-संसारी-दुराचारी....यानि ,,,,देव-मानव-दानव... यानि...
अद्वैत-द्वैत-निष्क्रिय ...यानि ....समाधिस्थ-प्रापंचिक-अक्रिय
..यानि....................
इस तरह चिंतन के माध्यम से कई शब्द-संच सोचे जा सकते हैं
-अरुण
इस तरह चिंतन के माध्यम से कई शब्द-संच सोचे जा सकते हैं
-अरुण
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