कुछ शेर

जो नही है सामने, होता बयाँ
नजर को ना चाहिए कोई जुबाँ

इन्सान के जेहन ने जो भी रची है दुनिया
भगवान दब चुका है उसके वजन के नीचे

घडे में भर गया पानी जगह कोई नही खाली
कहाँ से साँस लेगा अब घडे का अपना खालीपन

............................................................................ अरुण

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बहुत सुन्दर बधाई

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