दस्तूर

आँखों को फोड़ने का दस्तूर रखके कायम
बंदिश को तोड़ने की बातें चला रहे हैं

आधी मुहब्बत का पूरा पूरा दस्तूर
दुनिया तो चल रही है सम्भलते गिरते

जंगे आजादी है जिन्दा दुनिया में
सिलसिलाए दस्तूर चल पड़ा जबसे
............................................ अरुण

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