कुछ शेर
पिंजडे की मुहब्बत में उलझा हुआ ये पंछी
पूछे की उडूं कैसे आजाद मिजाजी से
है बदनसीब इंसा का जहन
जानने से पहले ही जानता कुछ कुछ
जिंदगी में दो और दो चार नही
समझे जो हकीकत लाचार नही
....................................................... अरुण
पूछे की उडूं कैसे आजाद मिजाजी से
है बदनसीब इंसा का जहन
जानने से पहले ही जानता कुछ कुछ
जिंदगी में दो और दो चार नही
समझे जो हकीकत लाचार नही
....................................................... अरुण
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ना लाओ ज़माने को तेरे-मेरे बीच