दो शेर

कुदरत जो फैलती फिर इन्सान क्यों नही
छोटे से नजरिये का छोटा सा आसमान

ख़ुद जो बन गया रौशनी अपनी
रास्तों ओ कोशिशों की न वजह उसको

........................................................... अरुण

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