तीन पंक्तियों में संवाद
अच्छों- बुरों से सोहबत तो कर के देख ली
बदनाम ही बचे थे जिनको न मिल सका
शायद उन्ही में होगा कोई रहनुमा मेरा
...........
किसीको पाना हो कोशिशों पे चढ़ जाना
किसी का हो लेना आसमाँ से गिर जाना
खुद का बोझा छोड़ते राजी हो हर बात
..............
शब्द सारे खोखले हैं
उनसे पूछो तो दिखाते अंगुली केवल
शब्दों के कई घाट, अर्थों का केवल एक प्रवाह -जीवन प्रवाह
..................................................... अरुण
बदनाम ही बचे थे जिनको न मिल सका
शायद उन्ही में होगा कोई रहनुमा मेरा
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किसीको पाना हो कोशिशों पे चढ़ जाना
किसी का हो लेना आसमाँ से गिर जाना
खुद का बोझा छोड़ते राजी हो हर बात
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शब्द सारे खोखले हैं
उनसे पूछो तो दिखाते अंगुली केवल
शब्दों के कई घाट, अर्थों का केवल एक प्रवाह -जीवन प्रवाह
..................................................... अरुण
Comments
आभार।
क्षमा कीजिएगा आप की पंक्तियों में थोड़े परिवर्तन कर रहा हूँ - बस ऐसे ही।
..शब्द सारे खोख(क)ले हैं
उनसे पूछो तो दिखाते अंगुली केवल।
शब्दों के कई घाट, अर्थों के कई (इक नहीं) प्रवाह -अकेला जीवन प्रवाह।