तीन दोहे

दुनिया भर के ज्ञान को, माथे में धर लेत
माथे का सत देखते, सत पे माथा टेक
..............
सभी पुजारी सत्य के मिलकर संघ बनाय
पूजा होती सत्य की लेकर झूठ उपाय
...................
अगला कोई न जानता, अगले छन काय होय
यह सच जिसमे रम गया, बिना किसी डर सोय
.............................................................. अरुण

Comments

Udan Tashtari said…
बढ़िया है.

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