आज के दोहे
बादल पे चलना नही, गर जाना घन-पार
मन-प्रयास सब व्यर्थ हैं, गर जाना मन-पार
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सूरज देता रोशनी, आँख चलाती राह
आँखे सूरज पे टिकीं तो रुक जाती है राह
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संसारी को मिल गये, साधन मन के पास
साधन ना वे काम के, जब निर्मन का वास
...................................................... अरुण
मन-प्रयास सब व्यर्थ हैं, गर जाना मन-पार
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सूरज देता रोशनी, आँख चलाती राह
आँखे सूरज पे टिकीं तो रुक जाती है राह
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संसारी को मिल गये, साधन मन के पास
साधन ना वे काम के, जब निर्मन का वास
...................................................... अरुण
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