आज के रूहानी शेर

जुबां से बयाने सच, मुमकिन मगर
सच पकड़ना, जुबां के बस में नही
.........................
शक उठाने औ उसे दूर किये जाने पर
बात तह तक समझ में आती है
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पल पल जिए, सच्चाई अपनी
नजारा- ए- वक्त, बदलता रहता है
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जमीं से उठ्ठी भाप के दरिया सी शख्सियत
कैसे जमीं को थामे जो गहरी हकीकत
................................................ अरुण

Comments

Udan Tashtari said…
बेहतरीन!

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