प्रगाढ़ होश
प्रगाढ़ होश आते ही गहराया
और छाया
शुरू से शुरू तक
होश गंगोत्री के स्रोत पर खड़ा ही रहा
अंत तक बिना टूटे ..........
और बिना टूटे ही गिर पड़ा
गहरी खाई में गंगा के प्रपात बनकर
आगे की ओर बहता हुआ विशाल धारा बना
घाटों, गावों और शहरों को छूता
उनसे सुसंवाद साधता हुआ
गुजरा एक तरंगमयी बहाव बन कर
मीलों का अंतर काटता हुआ
सागर की गोद में आ गिरा
और डूब गया अथाह में ......
अचानक एक कोमल झटके ने उसे
ध्यान दिलाया कि अभी भी वह खड़ा है
गंगोत्री के स्रोत पर
............................ अरुण
और छाया
शुरू से शुरू तक
होश गंगोत्री के स्रोत पर खड़ा ही रहा
अंत तक बिना टूटे ..........
और बिना टूटे ही गिर पड़ा
गहरी खाई में गंगा के प्रपात बनकर
आगे की ओर बहता हुआ विशाल धारा बना
घाटों, गावों और शहरों को छूता
उनसे सुसंवाद साधता हुआ
गुजरा एक तरंगमयी बहाव बन कर
मीलों का अंतर काटता हुआ
सागर की गोद में आ गिरा
और डूब गया अथाह में ......
अचानक एक कोमल झटके ने उसे
ध्यान दिलाया कि अभी भी वह खड़ा है
गंगोत्री के स्रोत पर
............................ अरुण
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दंगे नेता करते खिलाते जेल
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