राजनैतिक बवालबाजी- मुंबई में

तुम जनता की आवाज हो, यह कहते हो
फिर प्रोपर्टी जनता की जलाते क्यों हो
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दहशत की है जुबान, हिंसा का है फरमान
और कहतें हो, ये डेमोक्रेटिक हक़ है हमारा
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तुम्हे मालूम है के जनता कुछ कहती नही
उसकी नुमाईंदगी के नाम पर बवाल करते हो
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माइकल चलता है फिर छठ पूजा क्यों नही
छठ पूजा से भी फंड रेजिंग हो सकती है
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उसके कहने का तरीका बवालिया है
मकसद सही न हो पर कहने में कुछ दम तो है
.......................................................... अरुण

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