मिले वैसी ही जिंदगी तो .......

जिसने कोई न सुनी और पढ़ी ज्ञान की बात
क्या कभी ज्ञान को उपलब्ध नही हो सकता ?
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पूरी कुदरत की रूह जिस तरह से जिन्दा है
मिले वैसी ही जिंदगी तो कितना अच्छा हो
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चेहरे सत्पुरुषों के आइनों से कम नहीं
उनमें दिखती है असल जो भी है सूरत अपनी
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तोड़कर फूल पिरोकर जो बनाते माला
फूल से बच्चे, मरे जाते अदब के खातिर
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जिसने दिन ढलते ही आँखों को मूँद रखा हो
सुबह हो गई हो उसको पता कैसे हो
................................................ अरुण

Comments

बहुत बढ़िया लिखा...

चेहरे सत्पुरुषों के आइनों से कम नहीं
उनमें दिखती है असल जो भी है सूरत अपनी

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