आज के दोहे
दुख का काटा ना चुभे, सुख ना देत सुगंध
देखो गर नजदीक से, दोनों मन के बन्ध
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जिसने देखा साच को वो न धरे विश्वास
जिसके मन संदेह है, विश्वासों का दास
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पेटी में का चीज है खोले से दिख जात
बिन खोले ही मान ले, उसकी मूरख जात
........................................................अरुण
देखो गर नजदीक से, दोनों मन के बन्ध
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जिसने देखा साच को वो न धरे विश्वास
जिसके मन संदेह है, विश्वासों का दास
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पेटी में का चीज है खोले से दिख जात
बिन खोले ही मान ले, उसकी मूरख जात
........................................................अरुण
Comments
बिन खोले ही मान ले, उसकी मूरख जात.nice