कुछ शेर
बस मेरे पास रहो साथ तेरा काफी है
दिल को देते रहो माहोल, बदल जाने को
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महफिल में पांव रखते नज़रों में आ बसी वो
दिखता नही जहाँ में महफिल को छोड़ कुछ भी
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हम नए थे के रिवायत ने लपककर पकड़ा
हर नया दिन नयी साँस से महरूम हुआ
..................................................... अरुण
दिल को देते रहो माहोल, बदल जाने को
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महफिल में पांव रखते नज़रों में आ बसी वो
दिखता नही जहाँ में महफिल को छोड़ कुछ भी
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हम नए थे के रिवायत ने लपककर पकड़ा
हर नया दिन नयी साँस से महरूम हुआ
..................................................... अरुण
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