याद सबकुछ हो मगर


याद सबकुछ हो मगर इस याद से मुंह मोड ले
जो है जिन्दा साँस उसमे जिंदगी को घोल ले
फिर बहेगी जिंदगी बहती हुई इक नाव सी
जो भी मिल जाए किनारा उससे रिश्ता जोड़ ले 
- अरुण

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