दर्शन ही निवारण है
समाज हमें अच्छी अच्छी बातें सिखाता है
आतंरिक दुश्मनों, जैसे काम क्रोध इत्यदि से,
लड़ना सिखाता है, परन्तु अच्छे को अच्छा
और बुरे को बुरा क्यों कहते हैं इस बारे में वह मौन है
और इसी तरह लड़ने से पहले अपने तथाकथित
दुश्मन को कैसे साफ साफ देख लिया जाए, यह नही सिखाता
और इसीकारण सभी नीतिपालकों की जिंदगी
एक अजीब से संभ्रम में बीतती है
दुश्मन का स्पष्ट दर्शन ही, बिना किसी संघर्ष, दुश्मन
का निवारण है
-अरुण
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