अगर आसमान बोलना चाहे

अगर आसमान बोलना चाहे तो उसे
दो टुकड़ों में बंट जाना होगा
एक बोलनेवाला और दूसरा सुनानेवाला टुकड़ा
एक बार टुकड़ों में बंट गया आसमान
फिर कभी शांत न हो सकेगा
आदमी भी शांत प्रशांत आसमान की तरह
होगा शायद पर आज वह टूट चुका है
और अपने भीतर कोलाहल से भर चुका है
-अरुण

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