मन से परे
आदमी कितना भी बुद्धिमान
और अनुभवी क्यों न हो,
उसका मन अमर्याद या अपरिमित
को सीधे सीधे देखने के काबिल नही है
पेड के पत्ते का सौवां हिस्सा क्या पूरे पेड को
देख पायेगा ?
बस एक ही संभावना है कि....
आदमी मन से परे निकल जाए
तो ही बात बन सकती है
मन से परे जाने की बात वैज्ञानिकों को हजम नही होती
हाँ जो वैज्ञानिक विषय वस्तु के बाहरी निरीक्षण के साथ
साथ
अपने (निरिक्षण कर्ता) को भी
उसी निरीक्षण क्षेत्र में ले आने की
पहल करते है उन्ही को शायद ऐसी बातें
चिंतनीय लगें
-अरुण
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