फूल और प्रेम



भले ही फूल किसी खास टहनी से
जुड़ा हुआ लगता हो, उसकी सुगंध
परिसर के कण कण में घुल जाती है..
आदमी का प्रेम अपनों तक ही
सिमटकर रह जाता है
-अरुण

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