ज्ञानी और प्रज्ञावान में क्या फर्क है?



हर संसारी व्यक्ति समय चक्र से बंधा हुआ जीता है. अनुभव...ज्ञान.. स्मृति.. विचार और तदनुसार कृति ...इसी बंधे क्रम में मनुष्य का समय-चक्र अपनी जगह पर ही घूम रहा है. संसारी आदमी अनुभव से सीखे ज्ञान का उपयोग करते हुए जीता है. ऐसे संसारी को ज्ञानी कहना भी गलत नहीं. पर जो आदमी चुनौती के सामने आते ही, बिना समय-चक्र ( अनुभव...ज्ञान.. स्मृति.. विचार और तदनुसार कृति) .में उलझे, उससे निपटता है वही आदमी प्रज्ञावान है
-अरुण      

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