मनधारी ही है दुःखधारी
मनधारी
मानव का दुखी रहना स्वाभाविक है. दुःख से भागने के लिए ही वह सुखों में लिप्त होता
है और इस सुख-लिप्तता से भागने के लिए, वह त्याग का प्रतिष्ठित उपाय ढूंढ लेता है.
ये सब उपाय, दुःख से ही पलायन की तरकीबें हैं. जो दुःख के समक्ष ध्यानस्थ हो खड़ा
हो गया, वही आत्म-साक्षात्कारी हो सका.
-अरुण
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